गृह मंत्रालय के निर्देश पर देश के कई राज्यों में होगा बड़ा अभ्यास, छात्रों और सिविल डिफेंस को दी जाएगी विशेष ट्रेनिंग
नई दिल्ली। देशभर में युद्ध या आपदा जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। गृह मंत्रालय ने 7 मई को विभिन्न राज्यों में मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश जारी किए हैं। इस अभ्यास का उद्देश्य है — नागरिकों, छात्रों और सिविल डिफेंस से जुड़े लोगों को ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए तैयार करना।
सूत्रों के मुताबिक, यह मॉक ड्रिल देश की मौजूदा सुरक्षा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि आज के समय में खतरे सीमाओं तक सीमित नहीं हैं, इसलिए आम जनता की भी तैयारी उतनी ही जरूरी है जितनी कि सेना की।
मॉक ड्रिल क्यों है जरूरी?
रक्षा विशेषज्ञ और रिटायर्ड मेजर जनरल के.के. सिन्हा बताते हैं कि ऐसा अभ्यास पहले 1971 के युद्ध के दौरान हुआ था। लेकिन 1999 के कारगिल युद्ध में ऐसी कोई मॉक ड्रिल नहीं हुई क्योंकि वह एक सीमित क्षेत्र में सिमटा था।
आज जब युद्ध की संभावनाएं व्यापक रूप ले सकती हैं, तो ऐसी तैयारियां और भी जरूरी हो जाती हैं।
क्या-क्या होगा मॉक ड्रिल में?
इस मॉक ड्रिल के तहत कई अहम गतिविधियां की जाएंगी, जिनका उद्देश्य है, संकट की घड़ी में जान-माल की हानि को कम करना…
सायरन की जांच और पहचान:
- हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरनों की टेस्टिंग की जाएगी और नागरिकों को उनकी पहचान की ट्रेनिंग दी जाएगी।
अलर्ट प्रणाली का परीक्षण: - स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक स्थानों पर तुरंत अलर्ट पहुंचाने की व्यवस्था का अभ्यास किया जाएगा।
ब्लैकआउट अभ्यास: - हवाई हमले की स्थिति में सभी लाइटें बंद करने (ब्लैकआउट) की प्रक्रिया का अभ्यास कराया जाएगा।
संवेदनशील ठिकानों को छिपाना: - तेल डिपो, बिजलीघर और सैन्य ठिकानों जैसे स्थानों को दुश्मन से बचाने की रणनीति पर काम किया जाएगा।
सुरक्षित निकासी की योजना: - भीड़भाड़ वाले इलाकों को खाली कराने का अभ्यास किया जाएगा ताकि आपात स्थिति में लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके।
सरकार की अपील:
गृह मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन ने आम लोगों से अपील की है कि इस अभ्यास को गंभीरता से लें और पूरे सहयोग के साथ इसमें भाग लें। यह न केवल आपकी सुरक्षा के लिए, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने का एक ज़रिया है।