ऑपरेशन सिंदूर की तीव्र कार्रवाई से घबराए पाकिस्तान ने आखिरकार हथियार डाल दिए हैं। सीमा पर भारत की निर्णायक जवाबी रणनीति के बाद पाकिस्तान ने शांति के लिए वैश्विक स्तर पर गुहार लगाई। इस कूटनीतिक मोड़ के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक बड़ा दावा किया भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो गया है।
ट्रंप के इस बयान ने भू-राजनीतिक हलचल तेज कर दी है, लेकिन भारत सरकार के शीर्ष सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्णय दोनों देशों के बीच सीधे संपर्क के जरिए हुआ है, बिना किसी बाहरी मध्यस्थता के।
विदेश मंत्रालय ने दी आधिकारिक जानकारी
विदेश मंत्रालय के सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार (10 मई, 2025) को प्रेस को जानकारी देते हुए बताया कि दोपहर लगभग 3:35 बजे, पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय डीजीएमओ को फोन किया और दोनों देशों के बीच शांति बहाली को लेकर बातचीत हुई।
उन्होंने कहा, “भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच यह तय हुआ कि आज शाम 5:00 बजे से जमीन, हवा और समुद्र, तीनों मोर्चों पर गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकी जाएगी।” यह भी तय हुआ है कि 12 मई को दोनों DGMO फिर से वार्ता करेंगे।
ट्रंप ने किया मध्यस्थता का दावा, भारत ने नकारा
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी रात की बातचीत के बाद मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं।“
हालांकि भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि सीजफायर का निर्णय दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच सीधे संवाद से हुआ है, न कि किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से।
पाकिस्तान ने भी सीजफायर पर लगाई मुहर
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए पुष्टि की कि भारत और पाकिस्तान ने युद्धविराम पर सहमति जताई है। हालांकि उन्होंने भारत पर किए गए नाकाम हमलों के लिए माफी नहीं मांगी।
डार ने आगे कहा, “पाकिस्तान ने हमेशा अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए बिना क्षेत्र में शांति और स्थिरता को प्राथमिकता दी है।”
भारत और पाकिस्तान के बीच यह सीजफायर एक राहत की खबर है, लेकिन इतिहास गवाह है कि ऐसी संधियाँ लंबे समय तक तभी टिकती हैं जब दोनों पक्ष राजनीतिक इच्छाशक्ति और भरोसे के साथ काम करें।
इस फैसले के बाद अब सबकी निगाहें 12 मई की अगली DGMO बैठक पर हैं, जो भविष्य की रणनीतियों की दिशा तय करेगी।