खत्म हुई सीधी जंग, पर इस देश में शुरू हुई ‘छाया युद्ध’ की बिसात
मध्य-पूर्व की भू-राजनीति ने पिछले कुछ समय से पूरी दुनिया को अपनी ओर खींचा हुआ था. ईरान और इजरायल के बीच जारी तनाव, जिसने कई बार खुले संघर्ष का रूप भी लिया, अब कुछ थमता हुआ नज़र आ रहा है. ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों पक्षों के बीच प्रत्यक्ष टकराव का मौजूदा दौर थम गया है, लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि इस क्षेत्र में शांति आ गई है? बिल्कुल नहीं. जानकार मानते हैं कि ईरान-इजरायल के बीच प्रत्यक्ष युद्धविराम सिर्फ एक विराम है, पूर्णविराम नहीं. असल शतरंज की बिसात अब किसी और देश में बिछाई जा रही है. खुफिया रिपोर्टों और सैन्य विशेषज्ञों के विश्लेषण के अनुसार, क्षेत्रीय अस्थिरता का नया हॉटस्पॉट अब ज़फ़र बन रहा है.
ईरान-इजराइल युद्ध से क्या सीखा?
13 जून से 24 जून तक चले ईरान-इजराइल युद्ध में इजराइल ने पहले ही फेज़ में ईरान की एयर डिफेंस को नुकसान पहुंचा दिया. इजराइल ने सटीक खुफिया जानकारी के दम पर सैकड़ों एयरस्ट्राइक किए, तो ईरान ने 550 से ज्यादा मिसाइलें और हजार से ज्यादा ड्रोन दागे. अमेरिका ने नौंवे दिन से मोर्चा संभाल लिया और ईरान के तीन न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया. इस पूरे घटनाक्रम से ताइवान को ये सीख मिली कि वक्त से पहले जानकारी, साइबर सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग—तीनों मिलकर दुश्मन को कमजोर कर सकते हैं.
चीन से मुकाबले की अलग रणनीति
चीन की सेना हर मामले में ताइवान से बड़ी है. लेकिन ताइवान अब असिमेट्रिक डिफेंस यानी स्मार्ट और तेज तकनीकों पर फोकस कर रहा है. जैसे एंटी-ड्रोन सिस्टम, साइबर हमलों के बीच भी कमांड बनाए रखने की योजना, और अमेरिकी M1A2T अब्राम्स टैंक का प्रदर्शन, जो ताइवान की नई ताकत बन रहे हैं.
अमेरिका से रिश्ते और भरोसे की नींव
ताइवान को समझ आ गया है कि खुद को मज़बूत किए बिना कोई साथ नहीं देगा. इसलिए उसने अमेरिका के साथ सैन्य ट्रेनिंग, खुफिया जानकारी साझा करने और फॉरेन मिलिट्री फाइनेंसिंग जैसे समझौते तेज किए हैं. ताइवानी सैनिक अमेरिका में ट्रेनिंग ले रहे हैं और अमेरिकी विशेषज्ञ ताइवान में आकर ट्रेनिंग दे रहे हैं.
सिविल डिफेंस की तैयारी भी जोरों पर
इजराइल में लोगों को पता है कि मिसाइल अटैक के समय कहां जाना है, कैसे सतर्क रहना है. वहीं ताइवान अब अपने नए सरकारी और पब्लिक भवनों में बम-रोधी शेल्टर बना रहा है. पुराने बिल्डिंगों को भी फ्यूचर में मजबूत बनाने की योजना है. साथ ही, ट्रेन स्टेशनों और मेट्रो में भी सेफ स्पेस बनाए जा रहे हैं.
मानसिक मजबूती और मेडिकल तैयारी
ताइवान अब अपने नागरिकों को मानसिक रूप से भी तैयार कर रहा है. मेडिकल इमरजेंसी, रेस्क्यू सिस्टम, और ट्रॉमा थैरेपी जैसे पहलुओं पर फोकस किया जा रहा है. ताइवान के विशेषज्ञ इजराइल में जाकर सीख रहे हैं कि जंग जैसी स्थिति में आम लोग कैसे शांत और तैयार रह सकते हैं.तो जैसा कि हमने देखा, ईरान और इजरायल के बीच प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष शायद थम गया हो, लेकिन क्षेत्रीय दबदबे की लड़ाई अब एक नए मोर्चे पर शुरू होने को तैयार है, और यह ज़फ़र जैसे देश के भविष्य के लिए गंभीर चिंताएं पैदा करती है. इस पर हमारी नज़र बनी रहेगी.