गुस्से में पति को कुछ भी बोल देना पाप है? जानिए महाराज जी की बात
रिश्तों में कभी-कभी भावनाओं का ज्वार ऐसा उठता है कि शब्द नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं। खासकर जब बात पति-पत्नी के रिश्ते की हो, तो बहस में कहे गए शब्द दिल को छू भी सकते हैं और चोट भी दे सकते हैं। लेकिन सवाल ये है कि अगर कोई पत्नी गुस्से में आकर अपने पति को उल्टा-सीधा बोल दे, तो क्या इसे अधार्मिक या पाप माना जाएगा?
इस सवाल का जवाब दिया संत प्रेमानंद महाराज ने अपने एक प्रवचन में, जो आजकल सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है। महाराज जी ने कहा कि एक पत्नी का अपने पति के प्रति कटु व्यवहार, चाहे वह क्षणिक आवेश में ही क्यों न हो, रिश्ते की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। यह केवल शब्दों का मामला नहीं, बल्कि ऊर्जा और भावनाओं का आदान-प्रदान होता है।
महाराज जी के अनुसार, स्त्री को ‘गृहलक्ष्मी’ कहा गया है। उसका सौम्यता और संयम ही घर में शांति का कारण होता है। जब वह अपने ही जीवनसाथी को अपमानित करती है, तो घर की आत्मिक ऊर्जा प्रभावित होती है। यह कर्म, अगर बार-बार हो, तो उसके दाम्पत्य जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

उन्होंने यह भी समझाया कि किसी भी संबंध में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन मतभेदों को मनभेद न बनने देना ही जीवन की कला है। गुस्से के समय बोले गए कटु वचन केवल दूसरे को ही नहीं, खुद को भी अंदर से चोट पहुंचाते हैं।
इसलिए उन्होंने सभी को सलाह दी कि जब मन में आवेग उठे, तो मौन का अभ्यास करें। कुछ देर रुक जाना, भीतर की ऊर्जा को शांत करना, और फिर संवाद करना — यही रिश्तों को टिकाए रखता है और आत्मा को पाप से बचाता है।
आख़िरकार, शब्द ब्रह्म के समान हैं। उन्हें सोच-समझकर बोलना ही जीवन को सुखमय बनाता है।