बच्चों में डायरिया क्यों होता है और इससे कैसे बचें? डॉक्टर की सलाह जैसी जानकारी
जब बच्चा बार-बार ढीला पेट करे, तो हर पैरेंट के मन में चिंता उठती है — कहीं कुछ बड़ा तो नहीं हो रहा? लेकिन सच ये है कि ये एक आम समस्या है, खासकर गर्मियों या बारिश के मौसम में।सबसे पहले ध्यान दें उसके व्यवहार पर — क्या वो सुस्त हो गया है? क्या खाना नहीं खा रहा? और क्या पानी की कमी जैसे लक्षण दिख रहे हैं, जैसे सूखे होंठ या पेशाब कम आना?ये संकेत होते हैं कि शरीर से ज़रूरी तरल पदार्थ तेजी से निकल रहे हैं।
अक्सर छोटे बच्चों में दूध पचाने में दिक्कत होना (लैक्टोज इन्टॉलरेंस) भी डायरिया की वजह बन सकता है. कई बार एंटीबायोटिक दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल या नई चीजें खाने पर भी बच्चों को डायरिया हो सकता है. बच्चों की इम्युनिटी (रोगों से लड़ने की ताकत) कम होने की वजह से ये जल्दी बीमार पड़ जाते हैं. अब जानें डायरिया हो गया है तो इसके इलाज के लिए क्या करें.

शरीर में पानी, नमक की कमी दूर करें
जब बच्चा डायरिया से पीड़ित होता है, तो उसके शरीर से काफी मात्रा में पानी, नमक और जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स बाहर निकल जाते हैं. ऐसे में सबसे जरूरी होता है शरीर में पानी की कमी को पूरा करना. इसके लिए सबसे असरदार उपाय है ओआरएस (ORS). ओआरएस का घोल हर बार दस्त के बाद देना चाहिए, ताकि शरीर में नमक और पानी की मात्रा संतुलित रहे. छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाते रहना चाहिए, क्योंकि यह उन्हें पोषण भी देता है और डिहाइड्रेशन से भी बचाता है.
हल्का और पचने वाला खाना दें
बच्चे को घर का बना हल्का और पचने वाला खाना देना चाहिए जैसे दाल-चावल, खिचड़ी, केला, सेब की चटनी या दही. दूध और भारी तली-भुनी चीजों से बचना चाहिए. अगर बच्चा खाने से मना करे, तो भी उसे थोड़ा-थोड़ा खिलाते रहें ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे. साथ ही, ज्यादा पानी, नारियल पानी या नींबू-पानी जैसे तरल पदार्थ देना भी जरूरी है.
हाथ धोने की आदत डालें
डायरिया से बचने के लिए साफ-सफाई पर खास ध्यान देना चाहिए. बच्चों को खाने से पहले और टॉयलेट के बाद हाथ धोने की आदत डालें. उनकी बोतल, बर्तन और खिलौनों को रोज धोएं. साफ और उबला हुआ पानी ही पिलाएं. बाहर का खाना न दें और बच्चों को खुले में खेलने के बाद अच्छे से हाथ धोने को कहें. सही देखभाल, साफ-सफाई और सावधानी से इसे आसानी से रोका और ठीक किया जा सकता है.
नवजात या 6 महीने से छोटे बच्चों का खास ख्याल
नवजात या 6 महीने से छोटे बच्चों में अगर दस्त हो जाएं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि इनकी इम्युनिटी कमजोर होती है और शरीर में पानी की कमी, डिहाइड्रेशन बहुत जल्दी हो सकता है. सही समय पर इलाज न कराने से बच्चों में कमजोरी, वजन गिरना और पोषण की कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए ध्यान रखें अगर डायरिया 24 घंटे से ज्यादा रहे, तो डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें.
तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
यदि स्थिति गंभीर लगे तो देरी न करें और डॉक्टर से तुरंत सलाह लें. डायरिया की स्थिति में अगर बच्चा बहुत ज्यादा सुस्त हो जाए, आंखें धंसी दिखें, पेशाब कम आए, बार-बार उल्टी हो या खून के साथ दस्त हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. डिहाइड्रेशन बढ़ने पर अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ सकती है.