इन 5 फिल्मों में संजय दत्त ही नहीं, डर भी हीरो था
संजय दत्त बॉलीवुड के उन स्टार्स में से हैं जो हीरो के रूप में जितना छाए, उतना ही विलेन के रोल में भी छाए। एक्टर ने बॉलीवुड को एक्शन से लेकर कॉमेडी मूवीज तक दी हैं। ये फिल्में आज भी ऑडियंस के दिल में छाई हुई हैं। विलेन के किरदार में तो एक्टर ने ऐसी धाक जमाई कि मूवी के लीड हीरो भी साइडलाइन हो गए। आज यानी 29 जुलाई को एक्टर अपना 66वां जन्मदिन मना रहे हैं। चलिए इस खास मौके पर हम आपको उनके खूंखार विलेन वाले किरदारों के बारे में बताने जा रहे हैं।

- ‘कांचा चीना’ — अग्निपथ (2012)
“गंजा सिर, भारी आवाज़ और बेखौफ अंदाज़! इस रोल ने खलनायकी की परिभाषा ही बदल दी। अमिताभ वाले ओरिजिनल ‘कांचा’ से तुलना होने के बावजूद, संजय ने अपने स्टाइल से सबको चुप करवा दिया।” - ‘अधीरा’ — KGF Chapter 2 (2022)
“वाइकिंग लुक, सनकीपन और बेहताशा हिंसा! जब अधीरा स्क्रीन पर आता है, तो रॉकी भाई भी पलटकर देखता है। संजय दत्त ने यहां सिर्फ किरदार नहीं निभाया — उन्होंने आतंक को जीया।” - ‘रघु’ — वास्तव (1999)
“ये एक ऐसा विलेन है, जो खुद मजबूरी में बना था। लेकिन जब बना, तो इतना असली लगा कि दर्शकों को उससे नफरत नहीं, हमदर्दी होने लगी। ‘पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा’ से ‘गोली मार भेजे में’ तक का ये ट्रांसफॉर्मेशन… क्लासिक है!” - ‘बिल्ला’ — नाम (1986)
“ये वो दौर था जब संजय हीरो थे, लेकिन बिल्ला जैसे नेगेटिव शेड ने उन्हें ग्रे जोन में पहुंचाया। दुबई का अंडरवर्ल्ड, छल-कपट, और एक मासूम इंसान को बर्बाद करने वाला खतरनाक माफिया — इस रोल ने साबित किया कि वो विलेन भी उतने ही पावरफुल हैं जितने हीरो।” - ‘बूपा’ — कांटे (2002)
“स्टाइलिश लेकिन बेरहम! इस मल्टीस्टारर फिल्म में भी संजय दत्त का किरदार सबसे अलग और यादगार बन गया। शांत चेहरा और भीतर छुपी आग — यही था बूपा की खासियत।”
जब संजय दत्त खलनायक बनते हैं, तो अच्छाई और बुराई के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है।
इन किरदारों ने सिर्फ फिल्मों में नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में भी खौफ की छाप छोड़ी है।