क्या मोदी सरकार लाएगी 8th Pay Commission? जानिए कर्मचारियों की मांग
आज हम बात करने जा रहे हैं उस मुद्दे की जो लाखों सरकारी कर्मचारियों के दिल से जुड़ा है — 8वें वेतन आयोग की मांग और उससे जुड़ी चिंताएं।
वेतन बढ़े या न बढ़े, पर रिटायरमेंट के बाद क्या होगा?
यही सवाल आज हर सरकारी कर्मचारी के मन में है। खासकर तब, जब महंगाई बेलगाम हो चुकी है और न्यू पेंशन स्कीम में सुरक्षा का भरोसा कमज़ोर पड़ रहा है।
कर्मचारी यूनियनें लंबे समय से इस बात को उठा रही हैं कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए और 8वें वेतन आयोग का गठन जल्द से जल्द किया जाए।
सरकार ने अब तक आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा, लेकिन अंदरखाने हलचल तेज़ है।

लोग चाहते क्या हैं?
– बेसिक सैलरी में संतुलित बढ़ोतरी
– महंगाई भत्ते की समय पर समीक्षा
– ग्रेच्युटी की सीमा में बढ़ोतरी
– और सबसे अहम – पेंशन को भविष्य की चिंता से मुक्त करना
वहीं दूसरी ओर, विशेषज्ञों का मानना है कि वित्तीय बोझ को देखते हुए सरकार सोच-समझकर ही कोई फैसला लेगी।
सरकारी कर्मचारी ये पूछ रहे हैं – जब कीमतें हर साल बढ़ रही हैं, तो उनका वेतन और भविष्य सुरक्षित क्यों नहीं किया जा रहा?
यही वजह है कि देशभर में संगठनों ने अब मांगों को ज़ोर देने की ठानी है। कुछ राज्यों में तो रैलियां और विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो चुके हैं। दिल्ली से लेकर रायपुर तक, हर सरकारी दफ्तर में चर्चा एक ही – क्या आएगा 8वां वेतन आयोग? और कब?
अब सबकी निगाहें केंद्र सरकार की अगली चाल पर टिकी हैं।
क्या कर्मचारियों को राहत मिलेगी? या फिर पेंशन की टेंशन ऐसे ही बनी रहेगी?

सुझावों पर मंथन करेगी सरकर !
सरकार ने अभी आयोग का औपचारिक गठन नहीं किया है, लेकिन इसके लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) यानी काम का दायरा तय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में बताया कि कर्मचारियों की तरफ से आए सुझावों को दर्ज कर लिया गया है और अब कार्मिक विभाग (DoPT) और व्यय विभाग (Department of Expenditure) इनका विश्लेषण कर कैबिनेट के पास अंतिम मसौदा भेजेंगे.
गौरतलब है कि जब 2016 में सातवां वेतन आयोग लागू हुआ था, तो सरकार पर करीब 1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा था. ऐसे में अब सरकार को कर्मचारियों की उम्मीदों और बजट के बीच संतुलन बनाकर चलना होगा.