अमेरिकी टैरिफ का तोड़: भारत की नई रणनीति हुई शुरू
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जब आमने-सामने हों… तो असर सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं रहता। व्यापार, उद्योग, और आम जनता—हर कोई इसकी गूंज महसूस करता है।
हाल ही में अमेरिका की ओर से कुछ उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ ने भारतीय व्यापारिक हलकों में हलचल मचा दी। लेकिन भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया देने के मूड में नहीं… इस बार तैयारी बेहद खास और बड़ी है।डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर यही स्थिति रही तो भारत के ऊपर अमेरिका और अधिक टैरिफ लगाएगा. लेकिन भारत ट्रंप टैरिफ से निपटने के लिए कई तरीके अपना रहा है. भारत अपने निर्यातकों को ग्लोबल ट्रेड की अनिश्चितताओं और उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए सितंबर तक एक दीर्घकालिक योजना पेश करने की प्लानिंग कर रहा है.
भारत ने टैरिफ के खिलाफ नई योजना बनाई
अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार सितंबर तक एक लंबी अवधि की योजना तैयार कर रही है, जिसके तहत 20,000 करोड़ रुपये के एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन से निर्यातकों को समर्थन दिया जाएगा. इसका उद्देश्य है कि भारत के निर्यातकों को वैश्विक व्यापार की अनिश्चितताओं और टैरिफ के झटकों से बचाया जाए.

एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के मुख्य उद्देश्य
ET की रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार ने एक नया एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन शुरू करने का फैसला किया है जिसके तहत निर्यातकों को सस्ता और आसान ऋण उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वे अपने व्यापार को बढ़ा सकें. इसके अलावा, विदेशी बाजारों में आने वाली गैर-टैरिफ बाधाओं से निपटने के लिए भी उपाय किए जाएंगे.
अब सवाल सिर्फ बाज़ार बचाने का नहीं है, बल्कि नए बाज़ार गढ़ने का है। जिस तरह से भारत ने पिछले वर्षों में FTA यानी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स पर फोकस बढ़ाया है, यह योजना भी उसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।
सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी भी इसमें बेहद अहम मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि टारगेट सिर्फ रिएक्शन नहीं, बल्कि लॉन्ग टर्म ग्लोबल कम्पिटिटिवनेस को हासिल करना है।अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला, तो अगले 3–5 सालों में भारत उन उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक बन सकता है जिन पर आज अमेरिकी टैक्स लग रहा है। साथ ही, नए व्यापार समझौतों के ज़रिए भारत अपनी निर्भरता कुछ खास देशों पर कम करने की कोशिश भी कर रहा है।साफ है, भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया देने वाले देशों में नहीं, बल्कि समाधान पेश करने वालों की कतार में खड़ा है। 20,000 करोड़ का यह मिशन आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक आज़ादी की एक नई परिभाषा बन सकता है।
आपको क्या लगता है, क्या यह योजना वाकई अमेरिकी टैरिफ जैसे दबावों का जवाब बन पाएगी?