Neck Pain या Cervical? जानें कारण, लक्षण और इलाज
क्या आपको सुबह उठते ही गर्दन में जकड़न महसूस होती है? या फिर लैपटॉप पर बैठते-बैठते दर्द गर्दन से पीठ तक उतर आता है?तो ये हो सकता है — सर्वाइकल दर्द, यानी Cervical Spondylosis का संकेत।आज हम बताएंगे — क्या है सर्वाइकल दर्द, इसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीके — वो भी सीधे डॉक्टर की जुबानी।सर्वाइकलदर्द हमारी गर्दन की हड्डियों यानी ‘Cervical Spine’ से जुड़ी दिक्कत है।जब ये हड्डियाँ, नसें या मांसपेशियाँ दबती हैं,तो गर्दन में दर्द, अकड़न या झनझनाहट महसूस होती है।
सर्वाइकल दर्द के लक्षण क्या होते हैं?
मैक्स अस्पताल में आर्थोपेडिक विभाग में यूनिट हेड डॉ अखिलेश यादव बताते हैं किसर्वाइकल दर्द में गर्दन में अकड़न या जकड़न महसूस होती है. सर के पीछे या सिरदर्द के रूप में दर्द, कंधों, बाहों या हाथों तक दर्द या सुन्नपन रहना, गर्दन घुमाने में तकलीफ होना, कभी-कभी हाथों में झुनझुनी या कमजोरी आना. उठकर चलने पर चक्कर आना या बैलेंस की समस्या (कभी-कभी), ज्यादातर मामलों में थकान या सिर भारी लगना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
सर्वाइकल दर्द के सबसे आम कारणों में से है
1 गलत मुद्रा में बैठना या काम करना.
2 लगातार कंप्यूटर पर झुककर बैठना.
3 मोबाइल को घंटों तक नीचे की ओर देखकर इस्तेमाल करना.
4 बिना सपोर्ट के गर्दन को झुका कर सोना.
5 ऊंचा या बहुत सख्त तकिया भी गर्दन दर्द का कारण.
6 उम्र से जुड़ी बीमारी है जिसमें गर्दन की हड्डियों में घिसावट आ जाती है.
ये आदतें गर्दन की मांसपेशियों और नसों पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं. समय के साथ यह दबाव गंभीर रूप ले सकता है, जिसमें रीढ़ की हड्डियों की डिस्क और जोड़ों में धीरे-धीरे घिसावट आ जाती है.
MRI या X-ray जैसे टेस्ट कराएं –
अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है या लक्षण गंभीर हो जाते हैं तो इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है. सही समय पर डॉक्टर की सलाह लेना, MRI या X-ray जैसे टेस्ट कराना और उचित इलाज शुरू करना जरूरी होता है. आमतौर पर इलाज में फिजियोथेरेपी, गर्दन के व्यायाम, गर्म सेंक, पेन रिलीफ दवाएं और जीवनशैली में सुधार की सलाह दी जाती है.
कैसे करें बचाव सर्वाइकल दर्द से –
सर्वाइकल दर्द से बचाव के लिए सही मुद्रा, नियमित एक्सरसाइज, गर्दन की स्ट्रेचिंग, आरामदायक तकिया और तनाव से दूर रहना बेहद ज़रूरी है. याद रखें, अगर शरीर समय रहते संकेत दे रहा है, तो उसे नजरअंदाज न करें, क्योंकि समय पर जागरूकता से ही गंभीर स्थितियों से बचा जा सकता है.