क्या आपको भी है स्ट्रेस या डिप्रेशन? एक्सपर्ट से समझें लक्षण और पहचानें फर्क
आज हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर बात करने वाले हैं, जिसे अक्सर लोग एक ही समझ लेते हैं – वो है स्ट्रेस और डिप्रेशन। आपने भी शायद इन शब्दों का इस्तेमाल एक-दूसरे की जगह किया होगा, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि इन दोनों में मूलभूत अंतर हैं। इन्हें समझना बेहद ज़रूरी है ताकि हम सही समय पर सही मदद ले सकें।स्ट्रेस हमारे शरीर और मन की किसी चुनौती या मांग के प्रति एक सामान्य प्रतिक्रिया है। जब हम किसी दबाव वाली स्थिति में होते हैं – जैसे ऑफिस का डेडलाइन, परीक्षा का दबाव, पैसों की दिक्कत, या कोई झगड़ा – तो हमारा शरीर ‘फाइट या फ्लाइट’ मोड में चला जाता है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर और एलाइड साइंस में प्रो. डॉ. राजिंदर ने बताया कि हर व्यक्ति को कभी न कभी किसी बात को लेकर स्ट्रेस हो जाता है जैसे की ट्रैफिक में फंसने से भी स्ट्रेस हो सकता है या किसी को फाइनेंशियल कंडीशन को लेकर स्ट्रेस हो सकता है. स्ट्रेस पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों हो सकता है. इसके फायदे भी हो सकते हैं और नुकसान भी. स्ट्रेस ज्यादा लेने के कारण मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है. इससे हार्ट, ब्रेन या फिर लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है.
वहीं डिप्रेशन एक बीमारी है. ये माइनर या मेजर भी हो सकता है. इसमें मरीज को किसी भी काम में मन न लगना, भूख न लगना, नींद न आना, गिल्टमहसूस होना और कुछ भी काम करने का मन न करना जैसे लक्षण अगर दो हफ्ते से ज्यादा रहते हैं, तो यह डिप्रेशन का संकेत हो सकता है.

स्ट्रेस और डिप्रेशन में क्या अंतर है?
स्ट्रेस इंवायरमेंटल या फिर प्रोडक्टिव भी हो सकता है. स्ट्रेस फायदेमंद भी हो सकता है, जिससे किसी परिस्थिति से अपने आप को बाहर निकालने में मदद मिलती है. लेकिन ज्यादा स्ट्रेस से सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है और ये कई बीमारियों का कारण बन सकता है.
एक गुड़ और दूसरा बेड स्ट्रेस होता है. गुड़ स्ट्रेस हमें किसी घटना से बचाने में मदद करता है. इसलिए यह थोड़ा बहुत होना जरूरी है. इसमें व्यक्ति समझदारी और आराम से काम लेता है. वहीं बैड स्ट्रैस में जल्दबाजी कर उस परिस्थिति से बाहर निकलने का प्रयास करता है. इससे सेहत और मूड दोनों पर बुरा असर पड़ता है.
स्ट्रेस ऐसी किसी भी कंडीशन में हो सकता है जो आपको चुनौती देती है या फिर किसी काम के प्रेशर को लेकर भी यह हो सकता है. यह परिस्थिति बदलने के साथ कम हो जाता है. लेकिन लंबे समय से स्ट्रेस में रहना भी नुकसानदायक हो सकता है. वहीं डिप्रेशन एक मेडिकल कंडीशन है. इससे भी सेहत पर बुरा असर पड़ता है. लेकिन इसका इलाज दवाइयों और थेरेपी द्वारा किया जा सकता है.