एक ट्वीट के चलते अहमद अल–दौश को साइबर अपराध और आतंकवाद कानूनों के तहत सजा
दुबई
सऊदी अरब में एक ब्रिटिश नागरिक और बैंक विश्लेषक को सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट के चलते 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। बैंक ऑफ अमेरिका में काम कर चुके अहमद अल-दौश को अगस्त में रियाद एयरपोर्ट से तब गिरफ्तार किया गया जब वे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ इंग्लैंड लौट रहे थे।
परिवार का दावा है कि अहमद को 2018 में किए गए एक पुराने ट्वीट के कारण सजा दी गई, जिसमें सऊदी अरब का कोई ज़िक्र नहीं था बल्कि वह सूडान से जुड़ा था। उस ट्वीट को बाद में डिलीट कर दिया गया था।
गिरफ्तारी, बीमारी और मानसिक तनाव
उनकी पत्नी अमाहर नूर ने बताया कि जेल में अहमद गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसमें थाइरॉइड की बीमारी और मानसिक तनाव प्रमुख हैं। उनके वकील हेदी डाइकस्टाल का कहना है कि अहमद की गिरफ्तारी और मुकदमा प्रक्रिया में भारी खामियां रही हैं और यह न्याय की मूल भावना के खिलाफ है।
ट्रंप के दौरे के दौरान उठा मामला
यह मामला उस वक्त सामने आया जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सऊदी अरब के दौरे पर थे। अहमद की तरह सऊदी अरब में अन्य कई लोगों को भी सोशल मीडिया पर की गई पोस्टों के लिए निशाना बनाया गया है, खासकर वे पोस्ट जो क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की आलोचना से जुड़ी मानी गईं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की प्रतिक्रिया
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को जारी अपने बयान में कहा कि अहमद अल-दौश के परिवार का मानना है कि उन पर लगाए गए आरोप 2018 में किए गए एक पुराने ट्वीट से जुड़े हैं, जो सूडान के बारे में था और जिसे बाद में हटा लिया गया था। उस ट्वीट में न तो सऊदी अरब का उल्लेख था और न ही किसी निर्वासित सऊदी आलोचक या उसके बेटे से उनके संबंधों का जिक्र। सऊदी अरब के प्रेस कार्यालय और ब्रिटेन के विदेश कार्यालय ने इस मामले में प्रतिक्रिया के अनुरोधों का कोई जवाब नहीं दिया। अहमद को सोमवार को आतंकवाद और साइबर अपराध विरोधी कानूनों के उल्लंघन के आरोप में सजा सुनाई गई।