G7 समिट में पीएम मोदी और कनाडाई पीएम मार्क कार्नी की मुलाकात के बाद रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने पर बनी सहमति
भारत और कनाडा के रिश्तों में लंबे समय से जारी तनाव अब कम होता दिख रहा है। जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की मुलाकात के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे की राजधानियों में नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति पर सहमति जताई है। यह कदम सामान्य राजनयिक सेवाओं की बहाली की दिशा में बड़ा संकेत माना जा रहा है।
कनाडा के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने आपसी सम्मान, कानून के शासन और संप्रभुता जैसे सिद्धांतों के आधार पर संबंधों को फिर से मजबूत करने पर सहमति जताई है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दी जानकारी
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और कनाडाई पीएम कार्नी ने भारत-कनाडा संबंधों में स्थिरता और संतुलन बहाल करने पर सहमति जताई। सबसे पहला कदम उच्चायुक्तों की नियुक्ति के रूप में सामने आया है, वहीं अन्य कूटनीतिक गतिविधियां भी आगे समय के साथ होंगी।
उन्होंने कहा कि व्यापार, लोगों के बीच संपर्क और कनेक्टिविटी को फिर से बहाल करने के लिए वरिष्ठ स्तर की चर्चाएं भी दोबारा शुरू की जाएंगी।
तकनीक से लेकर खनिज तक सहयोग की संभावना
दोनों नेताओं ने स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, खाद्य सुरक्षा और रणनीतिक खनिजों जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की।
कार्नी को जीत की बधाई, संबंधों को लेकर मोदी का बयान
पीएम मोदी ने मार्क कार्नी को चुनाव में जीत की बधाई दी और कहा कि भारत और कनाडा के बीच लोकतांत्रिक मूल्यों और पारस्परिक सहयोग की नींव बहुत मजबूत है। उन्होंने दोनों देशों के बीच आर्थिक और नागरिक संबंधों को और गहरा करने की जरूरत पर जोर दिया।
जी-7 में मोदी की मेजबानी को कार्नी ने बताया गर्व की बात
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा कि जी-7 में प्रधानमंत्री मोदी की मेजबानी करना उनके लिए सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ वे ऊर्जा, परिवर्तन, आतंकवाद और एआई जैसे अहम मुद्दों पर मिलकर काम करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
पिछले वर्ष कैसे बिगड़े थे संबंध?
2023 में सिख चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा और भारत के रिश्तों में भारी तनाव उत्पन्न हो गया था। उस समय के कनाडाई पीएम ट्रूडो ने हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था। भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया था और कूटनीतिक संबंधों में गिरावट आ गई थी।