सीरिया में गहराया संकट! नक्शा बदलने की साजिश?
जब नक्शे बनते हैं…तो सिर्फ ज़मीन नहीं, हकीकतें भी खिसकती हैं।कुछ ऐसा ही आज मिडिल ईस्ट के नक्शे पर फिर से देखा जा रहा है।जहाँ खामोशी के पीछे, एक बड़ा प्लान आकार ले रहा है…जिसे कुछ लोग ‘डेविड कॉरिडोर’ कहते हैं —”और कुछ, एक ‘नई लकीर’ जो एक देश को टुकड़ों में बाँट सकती है।”सीरिया, जो पहले ही वर्षों से संघर्ष और संकट से जूझ रहा है,अब एक नई चाल की आहट से घिर गया है।एक रास्ता — जो इजराइल को सीधे लेवांत, फारस की खाड़ी और उससे भी आगे तक
स्ट्रेटेजिक एक्सेस दिला सकता है।और इस रास्ते में जो सबसे बड़ा पड़ाव है…वो सीरिया है।इस कॉरिडोर के ज़रिए न सिर्फ एक भू-भाग पर पकड़ बनाई जा सकती है,
बल्कि आसपास के कई देशों की शक्ति-संतुलन पर भी असर डाला जा सकता है।
और अगर यह कॉरिडोर बनता है —तो सीरिया के चार हिस्सों में बँटने की आशंका और गहरी हो जाती है।ये सिर्फ ज़मीनी लड़ाई नहीं है।ये है कूटनीति, रणनीति और विस्तारवाद का आधुनिक रूप।

4 हिस्सों में बंट सकता है सीरिया?
तुर्की के प्रमुख अखबार हुर्रियत के कॉलमनिस्ट अब्दुलकादिर सेलवी का मानना है कि इजराइल की योजना के मुताबिक सीरिया को चार हिस्सों में बांटा जा सकता है: दक्षिण में ड्रूज़ राज्य, पश्चिम में अलावी इलाका, केंद्र में सुन्नी अरब राज्य और उत्तर में कुर्द राज्य, जिसे SDF (सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज) संभालेंगी
क्या है इजराइल की मंशा?
BBC के मुताबिक इजराइल की दलील है कि वो सिर्फ अपनी सीमाओं की सुरक्षा चाहता है, खासकर सीरिया में मौजूद ईरानी समर्थित समूहों से. इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू कई बार कह चुके हैं कि वे उत्तरी सीमा पर किसी भी शत्रुतापूर्ण ताकत को बर्दाश्त नहीं करेंगे. वहीं, ड्रूज़ समुदाय को समर्थन देने की बात भी कही गई है. लेकिन आलोचकों का मानना है कि इजराइल का असली मकसद सीरिया की सत्ता को कमजोर करना है ताकि वहां पर छोटे-छोटे स्वतंत्र या अर्ध-स्वतंत्र क्षेत्र बन सकें जिनमें से कुछ इजराइल के सहयोगी भी हो सकते हैं.
तुर्की क्यों है चिंतित?
तुर्की लंबे वक्त से सीरिया की केंद्र सरकार का समर्थन करता रहा है. अंकारा को डर है कि अगर कुर्द और ड्रूज़ समुदायों को स्वायत्तता मिली, तो यह न केवल सीरिया की अखंडता को तोड़ेगा, बल्कि तुर्की के अपने कुर्द मामलों पर भी असर पड़ेगा. तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने 17 जुलाई को साफ कहा कि वे सीरिया के टुकड़े नहीं होने देंगे. तुर्की की सरकारी मीडिया ने भी इजराइल की सैन्य गतिविधियों पर सख्त प्रतिक्रिया दी है.
जहाँ नक्शे की एक रेखा, एक पूरी पीढ़ी की किस्मत बदल सकती है।कभी-कभी युद्ध टैंकों से नहीं,
टेबिल पर खींची लकीरों से लड़े जाते हैं।
और सवाल अब यह है —क्या ये लकीर सीरिया की सीमा तक रुकेगी… या आगे भी खिंचेगी?