मुंबई ब्लास्ट के 12 दोषी अब निर्दोष? हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
एक ऐसा हादसा जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। 11 जुलाई 2006 — मुंबई की लोकल ट्रेनें जो रोज़ लाखों ज़िंदगियों को मंज़िल तक पहुँचाती थीं, उस दिन मौत की सवारी बन गईं। 11 मिनट, 7 धमाके… 189 लोग नहीं लौटे और सैकड़ों घायल हुए।
करीब दो दशक तक चली एक लंबी कानूनी लड़ाई, सैकड़ों सुनवाईयाँ और गवाहियाँ… और अब, 2025 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने वो फ़ैसला सुना दिया, जिसने सबको चौंका दिया। सभी 12 आरोपियों को किया गया बरी।कोर्ट ने कहा, आरोप साबित नहीं हो सके। सबूतों में खामियाँ थीं। गवाहियों में विरोधाभास था। और सबसे बड़ा सवाल — क्या जो दोषी बताए गए थे, वो असल में अपराधी थे?
“जिन पर कभी देश की सबसे बड़ी आतंकी साज़िश का आरोप था, अब वही बेकसूर साबित हुए। पर क्या ये मुकदमा शुरुआत से ही कमज़ोर था? या कुछ अधूरा रह गया था?””कहानी खत्म नहीं हुई… इंसाफ़ सिर्फ सज़ा से नहीं, भरोसे से भी जुड़ा होता है। और आज वही भरोसा, सवालों के घेरे में है।”
पिछली सुनवाई और देरी के कारण
हाईकोर्ट की सुनवाई 2015 में शुरू हुई जब राज्य ने फांसी की सजा की पुष्टि के लिए याचिका दायर की और दोषियों ने भी अवमानना की अपील की. लंबी प्रक्रिया के कारण 11 से ज्यादा बेंच बदल गए, लेकिन जुलाई 2024 में विशेष बेंच बनाई गई. जनवरी 2025 में सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा गया था. अब इस फैसले को लेकर जांच एजेंसियों के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है.