मोदी मॉडल ने बदली भारत की गरीबी की कहानी
नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की एनडीए सरकार के 11 वर्षों में देश ने गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। विश्व बैंक की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अत्यधिक गरीबी की दर 2011-12 में 27.1% थी, जो 2022-23 में घटकर मात्र 5.3% रह गई। इसी अवधि में देश के लगभग 269 मिलियन (26.9 करोड़) लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर निकले हैं।
2011-12 में भारत में कुल 344.47 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी में रह रहे थे। यह आंकड़ा अब घटकर 75.24 मिलियन रह गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पहले 65% अत्यधिक गरीब रहते थे, और इन्हीं राज्यों ने गरीबी में आई गिरावट में दो-तिहाई योगदान दिया।
गरीबी रेखा के आंकड़े
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में $3.00 प्रतिदिन (2021 मूल्य) की अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा का उपयोग किया है। इसके अनुसार, भारत में गरीबी में व्यापक गिरावट आई है।
वहीं $2.15 प्रतिदिन (2017 मूल्य) के आधार पर अत्यधिक गरीबी में रहने वालों की संख्या 2011-12 में 205.93 मिलियन थी, जो 2022 में घटकर 33.66 मिलियन रह गई। इसके अनुसार, गरीबी दर 16.2% से घटकर केवल 2.3% रह गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी दर 18.4% से घटकर 2.8% हो गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 10.7% से गिरकर केवल 1.1% पर आ गई।
बहुआयामी गरीबी में भी गिरावट
भारत ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) में भी जबरदस्त सुधार किया है।
- 2005-06 में MPI 53.8% था
- 2019-21 में घटकर 16.4% हुआ
- 2022-23 में यह और गिरकर 15.5% रह गया
गरीबी उन्मूलन के पीछे कौन सी योजनाएं?
प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार की नीतियों और योजनाओं को श्रेय दिया।
- प्रधानमंत्री आवास योजना: गरीबों को पक्के घर
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना: मुफ्त गैस कनेक्शन
- जन धन योजना: बैंकिंग समावेशन
- आयुष्मान भारत: हेल्थकेयर का बड़ा कवच
- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) और डिजिटल समावेशन ने योजनाओं के लाभ को सीधे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया
इन पहलों की बदौलत सरकार का दावा है कि 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिली है।