तेल संकट की आहट? भारत ने बताया ‘प्लान बी’
नई दिल्ली
पश्चिम एशिया में अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के चलते दुनिया की नजरें ‘हॉर्मुज जलडमरूमध्य’ (Strait of Hormuz) पर टिकी हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान अमेरिका द्वारा उसके परमाणु ठिकानों पर हमले के जवाब में इस जलमार्ग को बंद करने की तैयारी में है। यह जलडमरूमध्य वैश्विक तेल और गैस आपूर्ति का एक अहम केंद्र है और दुनिया के करीब 20% पेट्रोलियम उत्पाद इसी रास्ते से गुजरते हैं।
भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा इसी रास्ते से आयात करता है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर हॉर्मुज बंद हो जाता है, तो भारत के पास क्या विकल्प होंगे?
भारत का Plan B क्या है?
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वस्त किया है कि स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है और जनता को किसी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने तेल आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाने की दिशा में पहले से काम किया है।
उन्होंने कहा, “भारत बीते दो हफ्तों से पश्चिम एशिया की घटनाओं पर नजर बनाए हुए है। हम आपूर्ति बनाए रखने के लिए सभी संभावित विकल्पों को सक्रिय कर चुके हैं।”
कीमतों पर क्या असर पड़ेगा?
पुरी ने माना कि कीमतों की भविष्यवाणी करना कठिन है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की उपलब्धता पर्याप्त है और पश्चिमी गोलार्ध (अमेरिका, कनाडा, ब्राजील जैसे देश) से आपूर्ति बढ़ रही है।
हमारी परंपरागत सप्लायर कंपनियां भी रुचि रखती हैं कि आपूर्ति बहाल रहे क्योंकि उन्हें राजस्व की जरूरत है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मोदी सरकार ने बीते सालों में कीमतों को काबू में रखने के साथ-साथ आपूर्ति की स्थिरता भी सुनिश्चित की है।
अगर हॉर्मुज लंबी अवधि तक बंद रहा तो?
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। यदि हॉर्मुज जलडमरूमध्य एक हफ्ते से ज्यादा समय तक बंद रहता है, तो वैश्विक तेल कीमतों में बड़ा उछाल आ सकता है। इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।
रूस से मिल रही राहत
भारत इस समय रूस से कच्चा तेल आयात कर रहा है, जिससे कीमतों में थोड़ी राहत मिल रही है। हालांकि, यह राहत छूट और बाज़ार में कीमतों के रुझानों पर निर्भर है। सूत्रों के अनुसार, अगर कच्चे तेल की कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल पार करती है, तो सरकार ईंधन पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती पर विचार कर सकती है।