15 दिन पहले पहलगाम में महिलाओं से सिंदूर छीना गया था, भारत का ऑपरेशन सिंदूर सफल
नई दिल्ली।
22 अप्रैल 2025 – पहलगाम का काला दिन
कश्मीर के सुरम्य पहलगाम में उस दिन सैलानी अपनी छुट्टियां मना रहे थे। लेकिन सुबह होते ही घात लगाए आतंकियों ने हमला कर दिया। यह कोई आम हमला नहीं था, यह धार्मिक पहचान पूछकर की गई हत्याएं थीं।
महिलाओं के मस्तक से सिंदूर मिटाया गया, बच्चों के सामने मां-बाप को गोली मारी गई। इस बर्बर हमले में 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली नागरिक मारे गए।
हमले के बाद प्रधानमंत्री की चेतावनी
हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से वादा किया “यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।” 29 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, थल, जल और वायु सेना प्रमुखों तथा रक्षा मंत्री की मौजूदगी में उच्चस्तरीय बैठक हुई। प्रधानमंत्री ने सेना को पूरी छूट दी जवाब कब और कैसे देना है, यह अब सशस्त्र बल तय करेंगे।
6-7 मई: ऑपरेशन सिंदूर शुरू होता है
हमले के ठीक 15 दिन बाद, रात 12 बजे के आसपास भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया।
यह नाम उस सिंदूर का प्रतीक है, जिसे आतंकियों ने मिटा दिया था। अब उसी सिंदूर का रंग उनके ठिकानों पर बरसा।
कार्रवाई के मुख्य बिंदु:
- ऑपरेशन पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के अंदर किया गया।
- 9 प्रमुख आतंकी अड्डों को निशाना बनाया गया।
- ड्रोन, प्रिसिजन गाइडेड मिसाइलें और लॉन्ग-रेंज आर्टिलरी का इस्तेमाल हुआ।
- कोई भारतीय सैनिक सीमा पार नहीं गया, सारी कार्रवाई रिमोट और एयर ऑपरेशन्स के ज़रिए की गई।
कहां हुआ हमला?
सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और पीओके के मुजफ्फराबाद, रावलकोट और कोटली जैसे क्षेत्रों में मौजूद आतंकी ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक कैंप्स को निशाना बनाया। इन जगहों पर हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी प्रशिक्षण ले रहे थे।

सेना का बयान: “इंसाफ पूरा हुआ”
कार्रवाई के तुरंत बाद भारतीय सेना ने एक संक्षिप्त बयान में कहा,
“हमने न्याय किया है, बदला नहीं लिया। भारत शांति चाहता है, पर कायरता का जवाब देना जानता है।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अब तक किसी भी बड़े वैश्विक देश ने भारत की कार्रवाई की आलोचना नहीं की है। अमेरिका और फ्रांस ने स्पष्ट किया कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत का समर्थन जारी रहेगा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा, “ये आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई थी।”
ऑपरेशन सिंदूर क्यों है खास?
- तेजी और सटीकता: केवल 15 दिन में गुप्त रणनीति से मिशन को अंजाम देना
- बिना सीमा पार किए बड़ी क्षति पहुँचाना
- मानवाधिकारों का पूरा ध्यान रखते हुए सर्जिकल अंदाज़ में वार
नया भारत, नया तरीका
यह ऑपरेशन एक बार फिर दिखाता है कि भारत अब केवल शब्दों से नहीं, बल्कि कर्मों से जवाब देता है।
जहां पहले आतंकी हमलों के जवाब में कूटनीतिक विरोध होता था, अब सीधी कार्रवाई होती है।
ऑपरेशन सिंदूर उसी नए भारत की पहचान है, जहां अस्मिता से छेड़छाड़ का जवाब, दुश्मन के आंगन में दिया जाता है।