पाकिस्तान की ISPR फैक्ट्री चलाती है झूठी खबरें
नई दिल्ली
आज के युग में युद्ध केवल भौतिक हथियारों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सूचना युद्ध (Information Warfare) भी उतना ही महत्वपूर्ण हो गया है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना को न केवल दुश्मन की सैन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा, बल्कि झूठी और भ्रामक खबरों का भी मुकाबला करना पड़ा। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने शांगरी-ला डायलॉग, सिंगापुर में बताया कि ऑपरेशन के लगभग 15% समय का उपयोग झूठी खबरों का जवाब देने में हुआ।
झूठी खबरों से निपटने के लिए स्पेशल यूनिट जरूरी
पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सोशल मीडिया पर झूठी और फर्जी खबरें फैलाने की भरपूर कोशिश की। ऑपरेशन से पहले पहलगाम हमले के तुरंत बाद भी ISPR (पाकिस्तानी सेना का इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशंस विंग) ने फेक वीडियो और झूठे नैरेटिव सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरू कर दिया था। भारतीय सेना और प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो ने हर झूठी खबर का तुरंत फैक्ट चेक किया। CDS जनरल अनिल चौहान ने जोर देकर कहा कि भारत को सूचना युद्ध के लिए एक विशेष और समर्पित यूनिट की आवश्यकता है, जो फर्जी खबरों का समय रहते मुकाबला कर सके। उन्होंने बताया कि भारत की रणनीति हमेशा तथ्य आधारित संवाद की रही है, जिससे जवाब देने में कभी-कभी देरी जरूर हुई लेकिन सच्चाई बरकरार रही।
पाकिस्तान की झूठ फैलाने वाली मशीन
पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना के बालाकोट एयर स्ट्राइक की जानकारी सबसे पहले पाकिस्तान के DG ISPR मेजर जनरल आसिफ गफूर ने दी। इसके बाद से ISPR का प्रोफेशनल प्रोपेगेंडा तेजी से सक्रिय हो गया। पाकिस्तान की ISPR, जो ISI के अधीन काम करती है, झूठी और भ्रामक खबरें फैलाने में माहिर है। भारतीय सेना इसपर पूरी नजर रखती है और झूठी सूचनाओं की तुरंत रोकथाम करती है। कई पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल को भारत में ब्लॉक भी किया जा चुका है ताकि फेक न्यूज का प्रभाव कम किया जा सके।