आश्रम में बिताए साढ़े तीन घंटे, संत प्रेमानंद से मिली जीवन और भक्ति की गहराई से जुड़ी सीख
वृंदावन
टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद विराट कोहली अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ मंगलवार की सुबह वृंदावन पहुंचे। यहां दोनों ने श्रीराधे हित केली कुंज आश्रम में संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की और आध्यात्मिक चर्चा में भाग लिया। यह विराट की संन्यास के बाद पहली सार्वजनिक उपस्थिति मानी जा रही है, जिसमें उन्होंने अध्यात्म और शांति की तलाश में संत दर्शन का मार्ग चुना।
विराट ने सोमवार को एक इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा था। इस भावुक पोस्ट में उन्होंने अपने 14 साल लंबे टेस्ट करियर के अंत की घोषणा की और इस सफर में मिले अनुभवों को साझा किया। वह पहले ही T20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं और अब सिर्फ वनडे प्रारूप में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। इसके साथ ही वह IPL 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु का हिस्सा बने रहेंगे।
जनवरी 2023 में संत प्रेमानंद महाराज से मिल चुके हैं
वृंदावन प्रवास के दौरान विराट और अनुष्का ने आश्रम में लगभग साढ़े तीन घंटे बिताए। सुबह 6 बजे पहुंचे यह दंपती करीब 9:30 बजे आश्रम से रवाना हुए। गौरतलब है कि विराट पहले भी जनवरी 2023 में संत प्रेमानंद महाराज से मिल चुके हैं, लेकिन इस बार मुलाकात खास रही क्योंकि यह उनके संन्यास के बाद की पहली महत्वपूर्ण यात्रा थी।
इस आध्यात्मिक संवाद के दौरान विराट ने संत प्रेमानंद से पूछा कि असफलता से कैसे बाहर निकला जाए। इस पर संत ने उत्तर दिया, “अभ्यास करते रहो, यही एकमात्र उपाय है।“ संत प्रेमानंद ने उन्हें समझाया कि भगवान की कृपा वैभव में नहीं, बल्कि अंदरूनी चिंतन के बदलाव में होती है। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियाँ ही सच्चे वैराग्य और आत्मविकास का मार्ग खोलती हैं।
अनुष्का शर्मा ने जब पूछा कि “क्या केवल नाम जप से भगवत प्राप्ति हो सकती है?” तो संत प्रेमानंद ने उत्तर दिया – “पूरी तरह से।राधा नाम जप सर्वोत्तम साधन है।“
संत ने समझाया कि यदि कोई श्रद्धा और अभ्यास के साथ राधा नाम का जप या लेखन करे, तो वह इसी जन्म में भगवान की प्राप्ति कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अंत समय में यदि ‘राधा’ नाम लिया जाए, तो सीधे श्रीजी की प्राप्ति होती है।
संत से प्रेरणा लेकर विराट और अनुष्का ने उन्हें प्रणाम किया। आश्रम में उन्हें चुनरी ओढ़ाकर विदा किया गया। संत ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा – “खूब आनंदित रहो और भगवान का नाम जपते रहो।“