मां के दर्द की लड़ाई: 5 साल का जुल्म, तीन तलाक और जबरन हलाला का सच
आज हम आपको एक ऐसी मार्मिक कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि इंसाफ की लड़ाई कितनी लंबी और दर्दनाक हो सकती है. ये कहानी है रुकैया की, जिन्हें 5 साल तक ज़ुल्म सहना पड़ा, तीन बार तलाक दिया गया, और फिर एक अनजान शख्स से जबरन हलाला करवाया गया. अब उनके प्रोफेसर बेटे ने अपनी मां के लिए कानूनी लड़ाई शुरू की है. सवाल ये है कि रुकैया को कब मिलेगा इंसाफ?यह कहानी है उत्तर प्रदेश के लखनऊ की रहने वाली रुकैया की, जिनकी ज़िंदगी 5 साल तक नर्क बन गई थी. उनके पति ने उन्हें बार-बार शारीरिक और मानसिक यातनाएं दीं. यह टॉर्चर सिर्फ यहीं नहीं रुका. क्रूरता की हद तो तब पार हो गई जब पति ने उन्हें एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन बार तलाक दे दिया.
तीन तलाक, जिसे अब कानूनन अपराध घोषित कर दिया गया है, उस समय रुकैया के लिए एक भयावह सच्चाई थी. लेकिन उनकी पीड़ा यहीं खत्म नहीं हुई.
इस्लामी कानून की व्याख्या के अनुसार, अगर किसी महिला को तीन तलाक दे दिया जाता है और वह अपने पहले पति से दोबारा शादी करना चाहती है, तो उसे पहले किसी दूसरे पुरुष से शादी करनी होती है, शारीरिक संबंध बनाने होते हैं, और फिर उससे तलाक लेना होता है. इसे ‘हलाला’ कहते हैं. रुकैया को इसी क्रूर प्रथा का शिकार बनाया गया. उन्हें अपने ही ससुराल वालों के दबाव में एक अनजान शख्स से जबरन हलाला करने पर मजबूर किया गया. यह न केवल उनके शरीर का अपमान था, बल्कि उनकी आत्मा को भी तार-तार कर देने वाला कृत्य था.
लेकिन रुकैया की कहानी में उम्मीद की किरण तब जगी जब उनके बेटे ने, जो खुद एक प्रोफेसर हैं, अपनी मां के लिए आवाज़ उठाने का फैसला किया. उन्होंने अपनी मां के साथ हुए अत्याचारों के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की है. यह लड़ाई केवल उनकी मां के इंसाफ के लिए नहीं, बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए है, जो ऐसी रूढ़िवादी और अमानवीय प्रथाओं का शिकार होती हैं.रुकैया का दर्द और उनके बेटे का संघर्ष यह सवाल खड़ा करता है कि कब तक समाज की कुछ कुप्रथाएं मासूम जिंदगियों को बर्बाद करती रहेंगी? और सबसे बड़ा सवाल, रुकैया को कब मिलेगा इंसाफ? यह लड़ाई लंबी हो सकती है, लेकिन रुकैया और उनका बेटा उम्मीद कर रहे हैं कि न्याय की जीत ज़रूर होगी. हम इस मामले पर अपनी नज़र बनाए रखेंगे.