तीर्थ स्थल बनाने की तैयारी, व्यापारियों में आक्रोश!
राजस्थान: राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू अब एक बड़े बदलाव की दहलीज़ पर खड़ा है। राजस्थान सरकार की योजना है कि माउंट आबू को ‘तीर्थ स्थल’ घोषित किया जाए, और इसके साथ ही यहां शराब और मांसाहार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा सकता है। लेकिन सवाल है — क्या इससे माउंट आबू का पर्यटन उद्योग और हज़ारों लोगों का रोजगार खतरे में पड़ जाएगा?माउंट आबू, जिसे ‘आबू राज’ के नाम से भी जाना जाता है, धार्मिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। यहां देलवाड़ा जैन मंदिर, गुरुशिखर, और ब्रह्माकुमारी संस्थान जैसे स्थान साल भर लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
सालाना 24 लाख से अधिक पर्यटक माउंट आबू आते हैं
हजारों होटल, रेस्टोरेंट और दुकानों का कारोबार इन पर्यटकों पर निर्भर है
लगभग 80% से अधिक होटल और भोजनालय नॉनवेज और एल्कोहल से कमाई करते हैं
सरकार का मानना है कि तीर्थ स्थल घोषित करने से माउंट आबू का धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव बढ़ेगा। लेकिन स्थानीय व्यापारियों के लिए ये फैसला उनकी आजीविका पर सीधा हमला बनता दिख रहा है।
राजस्थान के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू घूमने जाने वाले पर्यटकों को अब वहां शराब और नॉनवेज नहीं मिल पाएगा. राज्य सरकार इसे तीर्थ स्थान घोषित करने की तैयारी कर रही है. मुख्यमंत्री कार्यालय से इस संबंध में स्थानीय निकाय विभाग की तरफ से माउंट आबू नगर परिषद को पत्र लिखकर टिप्पणी मांगी हैं. इस संबध में आबू नगर परिषद को दो बार पत्र भेजा जा चुका है. इससे पहले साल 2024 में माउंट आबू को पुराने नाम आबू राज में बदलने का प्रस्ताव माउंट आबू नगर परिषद में सर्वसम्मति से पारित हो गया था.
माउंट आबू को आबू राज तीर्थ बनाए जाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में बीते दिनों कई बैठक हुईं. इसके बाद स्थानीय निकाय विभाग की तरफ से माउंट आबू नगर परिषद को पत्र लिखकर टिप्पणी मांगी गई. माना जाता है कि माउंट आबू के तीर्थ स्थल घोषित होते ही यहां शराब और नॉनवेज की बिक्री पर रोक लगा जाएगी. ऐसे में यहां घूमने और मौज मस्ती के उद्देश्य से आने वाले पर्यटकों को मायूसी हाथ लगेगी.माउंट आबू को तीर्थ स्थल घोषित किए जाने के प्रस्ताव पर आबू के होटल कारोबारी और अन्य संगठन विरोध पर उतर आए हैं. उन्होंने इसको लेकर ‘आबू बचाओ, आबू का रोजगार बचाओ’ संघर्ष समिति भी बनाई है. समिति का मानना है कि सरकार के इस फैसले से यहां का कारोबार पूरी तरह चौपट हो जाएगा. उनका कहना है कि माउंट आबू घूमने के लिए प्रति वर्ष करीब 24 लाख पर्यटक आते हैं.