फर्जी झंडे, झूठी तस्वीरें और नकली पद! ये है ‘Ambassador Scam’ की पूरी कहानी !
कभी-कभी असलियत से भी ज़्यादा फिल्मी लगती हैं कुछ कहानियाँ — लेकिन ये कहानी हक़ीक़त है… और झूठ की बुनियाद पर खड़ी है।नाम है हर्षवर्धन जैन — जिसने खुद को एक साथ चार देशों का एम्बेसडर बताया।पोशाक वैसी, झंडे वैसे, और पीछे नेता भी वैसे ही दिखे…लेकिन जब परतें खुलीं, तो नीचे से निकला एक ऐसा फरेब, जिसने सबको चौंका दिया।हर चीज़ बड़ी सफाई से गढ़ी गई थी — नकली देश, नकली झंडे, नकली वेबसाइट्स, और यहां तक कि सोशल मीडिया पर नेताओं के साथ तस्वीरें भी… जो असल में थीं ही नहीं।यह पूरा खेल सिर्फ पहचान और प्रतिष्ठा का नहीं, बल्कि असर और पहुंच का था।

इस शख्स ने सिर्फ लोगों को नहीं, सिस्टम को भी भ्रम में डाले रखा।वो विदेश मंत्रालयों से मेल करता, बड़े-बड़े इवेंट्स में शामिल होता, और खुद को इंटरनेशनल डिप्लोमैट बताता।उसके पास वो हर चीज़ थी जो एक सच्चे राजनयिक के पास होती है — बस एक चीज़ छोड़कर: सच्चाई।जैसे-जैसे उसकी कहानी सोशल मीडिया और फाइलों से बाहर निकली, एक-एक झूठ सामने आता गया।पता चला कि न कोई दूतावास असल में था, न कोई नियुक्ति…सब कुछ सिर्फ दिखावे और भ्रम का हिस्सा था।
अब सवाल उठते हैं — इतनी बड़ी झूठी दुनिया खड़ी कैसे हो गई?क्या कहीं न कहीं सिस्टम की चूक भी इसमें शामिल थी?या फिर सोशल मीडिया और पब्लिक इमेज के इस दौर में सच्चाई की जांच करना ही पीछे छूट गया?
फिलहाल, जांच एजेंसियां हर पहलू को खंगाल रही हैं।
लेकिन यह मामला सिर्फ एक शख्स की चालाकी का नहीं, एक पूरे तंत्र की आंखें खोलने वाला बन चुका है।