इटावा में कथावाचकों संग बदसलूकी पर सियासी बवाल
लखनऊ
उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचकों के साथ हुई बदसलूकी ने प्रदेश की सियासत में तूफान ला दिया है। इसी मुद्दे पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर गंभीर आरोप लगाए। अखिलेश ने दावा किया कि शास्त्री कथावाचन के लिए अंडर टेबल मोटी फीस लेते हैं और आम लोगों के लिए उन्हें बुलाना मुमकिन नहीं।
उन्होंने कहा, कई कथावाचक 50 लाख रुपये लेते हैं। किसी की हैसियत है कि धीरेंद्र शास्त्री को कथा के लिए बुला सके? वो अंडर टेबल पैसा लेते हैं। आप पता करवा लीजिए कि वो फ्री में कथा करते हैं क्या? उनके इस बयान ने धार्मिक और राजनीतिक हलकों में नई बहस को जन्म दे दिया।
इटावा कांड से उभरी सियासी गर्मी
21 जून को इटावा के दान्दरपुर गांव में कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहयोगी संत कुमार यादव के साथ कथित तौर पर मारपीट की गई। आरोप है कि कुछ ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने कथावाचकों की चोटी काटी, सिर मुंडवाया और जातिसूचक गालियां दीं। इसका वीडियो वायरल होने के बाद अखिलेश यादव ने पीड़ितों से मुलाकात की, उन्हें सपा कार्यालय में सम्मानित किया और 51 हजार रुपये की मदद और हारमोनियम भेंट किया।
अखिलेश ने इस घटना को पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के खिलाफ साजिश बताया और बीजेपी पर तीखा हमला करते हुए कहा, कथा अब वर्चस्ववादी सोच का व्यापार बन गई है। कुछ लोग इसे जातिवादी वर्चस्व के रूप में थोपना चाहते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री की प्रतिक्रिया
इस मामले पर धीरेंद्र शास्त्री पहले ही प्रतिक्रिया दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि कथा किसी जाति की बपौती नहीं हो सकती। अगर किसी कथावाचक से कोई गलती हुई थी तो समाधान न्यायपालिका के जरिए होना चाहिए था, न कि भीड़तंत्र से। साथ ही उन्होंने राजनीतिक दलों से इस मामले को सियासी रंग न देने की अपील भी की।
हालांकि, अखिलेश यादव के ताजा आरोपों पर शास्त्री ने अभी तक प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच घमासान मचा हुआ है।
मामले से जुड़ा अखिलेश यादव का वीडियो: