UP की सियासत में बड़ा बदलाव? अखिलेश की नजर अब पूर्वांचल पर
उत्तर प्रदेश की सियासत में हवा बदल रही है…और इस बार, उसका केंद्र बना है पूर्वांचल।सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मिशन 2027 की बिसात बिछा दी है।
लेकिन बड़ा सवाल यह है –क्या पूर्वांचल में नई रणनीति से सपा 2027 का चुनावी गणित बदल पाएगी?
आइए जानते हैं पूरी कहानी…
आजमगढ़ जिले के अनवरगंज में बनकर तैयार हुए सपा के आवासीय कार्यालय का गुरुवार को उद्घाटन हो गया है. साढ़े तीन बीघे जमीन में बना भव्य दफ्तर तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस है. इसे मॉड्यूलर तरीके से डिजाइन किया गया है, जिसमें दो फ्लोर हैं. ग्राउंड फ्लोर पर ऑफिस और मीटिंग हॉल और फर्स्ट फ्लोर पर रहने की जगह है. अखिलेश ने कहा कि यह नव-निर्मित दफ्तर ‘PDA भवन’ कहलाएगा, जिससे साफ है कि 2026 में यह पूर्वांचल में सपा की सियासत का केंद्र होगा.
आजमगढ़ से पूर्वांचल साधने का प्लान
आजमगढ़ में अखिलेश यादव ने पूर्वांचल को साधने का प्लान बनाया है. सपा यहीं से 2027 में पूर्वांचल के सियासी समीकरण को साधने से लेकर चुनाव का केंद्र बनाने की भी स्ट्रेटेजी मानी जा रही है. सपा कार्यालय शिक्षण-प्रशिक्षण का भी केंद्र होगा. साथ ही युवाओं और नए लोगों के समाजवादी संघर्ष, आंदोलनों और समाजवादी नेताओं के जीवन का प्रशिक्षण दिया जाएगा. अखिलेश का यह कदम सपा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे पूर्वांचल में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी. आजमगढ़ सपा का गढ़ माना जाता है. अखिलेश यादव का यहां रहना पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करेगा और उन्हें चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करेगा.
अखिलेश यादव अब पूर्वांचल की राजनीति में अधिक सक्रिय भूमिका निभाएंगे. नियमित रूप से आजमगढ़ का दौरा करेंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों से मिलेंगे. इससे उन्हें आजमगढ़ जिले की ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के समस्याओं को समझने और उनके समाधान के लिए काम करने में मदद मिलेगी. सपा नेता और कार्यकर्ता इस नए घर को लेकर बहुत उत्साहित हैं. अखिलेश ने कहा कि सामाजिक न्याय की स्थापना का संकल्प ही हमारे PDA परिवार को सम्मान दिलाने का काम करेगा. उन्होंने कहा कि ये जो पार्टी कार्यालय बना है, इसका नाम क्या हो. ये PDA भवन नाम से जाना जाएगा, क्योंकि पीडीए की एकता ही हमें 2027 में सत्ता दिलाएगी.
पूर्वांचल से ही तय होती यूपी की सत्ता
उत्तर प्रदेश की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल क्षेत्र से होकर गुजरता है. पूर्वांचल में 20 जिले आते हैं,सूबे की राजनीतिक दशा और दिशा तय करते है. इनमें वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली और अंबेडकरनगर जिले शामिल हैं. इन 20 जिलों में 120 से ज्यादा विधानसभा सीट आती हैं, जिसमें 2017 में बीजेपी 90 सीटें जीतने में सफल रही, लेकिन 2022 में यह सीटें घटकर 60 सीट पर आ गई थीं.
बीजेपी को आजमगढ़, जौनपुर, गाजीपुर, मऊ, आंबेडकरनगर, फैजाबाद, बलिया और प्रयागराज जैसे जिले में सियासी झटका लगा था. 2024 के चुनाव में सपा ने बीजेपी का सफाया ही कर दिया है, बनारस मंडल में मिर्जापुर, भदोही और काशी सीट ही जीत सकी थी. फैजाबाद और आजमगढ़ मंडल में बीजेपी का खाता तक नहीं खुला. प्रयागराज मंडल में भी बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत सकी है. इसी का नतीजा था कि यूपी में बीजेपी पर सपा भारी पड़ी. अब उसे 2027 में भी दोहराने का प्लान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बनाया है. पूर्वांचल का हर चुनाव में बदलता मिजाज
यूपी के सियासी इतिहास में देखें तो पिछले तीन दशक से पूर्वांचल का मतदाता कभी किसी एक पार्टी के साथ नहीं रहा. एक चुनाव में साथ देने के बाद दूसरे चुनाव में साथ छोड़ देता है. 2012 के चुनाव में सपा ने 80 सीटें जीती थीं. वहीं, 2007 में मायावती पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थीं, तो पूर्वांचल की अहम भूमिका रही थी. बसपा 72 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इससे जाहिर होता है कि पूर्वांचल इलाके की जंग फतह करने के बाद ही सूबे की सत्ता पर कोई पार्टी काबिज हो सकती है.
सपा की राजनीतिक प्रयोगशाला
आजमगढ़ के जिले में बने कार्यालय से सपा अपने कार्यकर्ताओं को वैचारिक तौर पर प्रशिक्षण देगी. यहां सपा के आंदोलनों के इतिहास को सहेजा जाएगा. यहां पर डॉ. राम मनोहर लोहिया, डॉ. भीमराव आंबेडकर, जनेश्वर मिश्र, मुलायम सिंह यादव की विचारधारा और अखिलेश की नीतियों व कार्यक्रमों की जानकारी युवा पीढ़ी को देने के लिए सेमिनार करेगी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव यहां आकर रुकेंगे और जिले के साथ ही पूर्वांचल के पदाधिकारियों से मुलाकात भी करेंगे.
सपा की पीडीए विचारधारा को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को निर्देश भी जारी किया जाएगा. यहां युवाओं को यह भी बताया जाएगा कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में समाजवादियों की क्या भूमिका रही और उन्होंने किस प्रकार अपनी भूमिका का निर्वहन किया. पार्टी के बड़े नेता यहां आकर युवा कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे ताकि उन्हें समाजवादी विचारधारा के साथ मजबूती से जोड़े रखा जा सके.
आजमगढ़ में अखिलेश ने कहा कि हमें इस बात की खुशी है कि हम लोगों ने बहुत पार्टी कार्यालय देखे हैं, बीजेपी का कई फ्लोर का पार्टी कार्यालय देखा है, लेकिन जितना शानदार समाजवादी पार्टी का कार्यालय दिखाई दे रहा है, इसके मुकाबले उनका पार्टी कार्यालय कहीं नहीं है. बीजेपी जानती है कि आजमगढ़ में खाता नहीं खुलेगा, इसीलिए छोटा कार्यालय बनाया है.
गुरुवार को आजमगढ़ के कार्यक्रम में एक सपा कार्यकर्ता के हाथ में मुलायम और कांशीराम की तस्वीर देख कर अखिलेश यादव ने बसपा पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सामने हमारा पार्टी कार्यकर्ता एक तस्वीर दिखा रहा है, एक तस्वीर उसके हाथ में है, जिसमें मान्यवर कांशीराम जी और नेताजी एक ही सोफे पर बैठे हुए हैं. सोचो दो विचारधारा का मिलन कब हुआ था. एक साथ आई थीं. यहां से न केवल नेताजी और समाजवादी पार्टी को जिताया, बल्कि ऐतिहासिक वोटों से जिताने का काम किया.तो क्या अखिलेश बदल पाएंगे सियासी जनादेश?या फिर इतिहास खुद को दोहराएगा।